Amarsar

Amarsar is a town in Jaipur district, Rajasthan, India.[1]

आओ गांव चले

"शेखा" और "शेरशाह "का जन्म स्थल "अमरसर"

तीस साल पहले बिशन सिंह शेखावत का पत्रिका में प्रकाशित आलेख।

अमरसर सैकड़ों वर्षो तक आमेर की तरह राजधानी रहा है और कई हमले भी हुए हैं जिसमें आमेर के राजा तक यहां काम आए। बादशाह शेरशाह सूरी का पिता हसन खान अमरसर के राव का नौकर था। स्वयं शेरशाह का जन्म भी अमरसर में हुआ था। अमरसर  के शेखा गढ़ में राव शेखा ने जन्म लिया था, जिसके नाम से शेखावाटी का नाम प्रचलित है । स्वतंत्रता मिलने तक अमरसर के शेखा की संतानों के अधिकार में हजारों वर्ग मील का क्षेत्र था । स्वतंत्रता से पूर्व ही अमृतसर में जनजागृति शुरू करने के लिए खादी संघ की स्थापना हो गई थी। स्वर्गीय हरीभाऊ उपाध्याय यहां पर श्रीराम विद्यालय में जनजागृति करने महीनों तक रहे थे ।राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष गिरिराज प्रसाद यही खेले पड़े और बड़े हुए।

     जयपुर में उत्तर दिशा में 80 किलोमीटर की दूरी पर बसे हुए अमरसर को चोमू अजीतगढ़ सड़क से देखने पर लगता है कि यह कोई भव्य नगरी होगी। अमरसर के चारों और नाले देख वर्षा के दिनों में ऐसा लगता है जैसे शिव की जटाओं से जलधाराएं प्रभावित हो रही हो।

      यहां के रहने वाले लोग भी अमरसर के गौरव के अनुकूल ही है । मीठे बोल और आदरणीय की परंपरा का एक भाग है । शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय यहां वर्षों तक रहा इसलिए लोगों को अध्यापक बनने का अच्छा अवसर मिल गया ।  राजस्थान विश्वविद्यालय में डॉक्टर रामगोपाल शर्मा , शिक्षा विभाग के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी, नंदलाल शर्मा प्राचार्य ,आनंदीलाल प्राध्यापक, गणपत लाल शर्मा जैसे श्रेष्ठ शिक्षा शास्त्री इस गांव की देन है। राधेश्याम कलावटिया व्याख्याता हैं।

गांव शांत एवं रचनात्मक प्रवृत्तियों में  रहने वाला है। मुकदमे बाजी भी अधिक नहीं है।हरिजन बच्चों के लिए छात्रावास 1956 में ही खुल गया था।  इसका श्रेय गांव वाले स्वर्गीय भोगीलाल पंड्या को देते हैं ।इस छात्रावास के माध्यम से पूरे क्षेत्र के पिछड़े वर्ग के लोगों ने फायदा उठाया है । उच्च माध्यमिक विद्यालय का भवन विशाल है।आधा भवन सेठ मालीराम की यादगार में रामगोपाल ने व आधा शाहपुरा ठिकाने ने बनवा कर दिया । हरिजन छात्रावास के अलावा भी सामान्य छात्रों के लिए  छात्रावास है ।अमरसर पहले पहाड़ की जड़ों में बसा हुआ था। 500 वर्ष पहले वर्तमान स्थान पर बसना शुरू हुआ। शेखावाटी के प्रसिद्ध शासक शेखा का जन्म यहां दशहरा के दिन सन 1446 में हुआ था।

       प्रत्येक दशहरा के दिन शाहपुरा के राव के नेतृत्व में सैकड़ों लोग शेखा गढ़ में इकट्ठे होकर इनका जन्म दिवस मनाते हैं । कर्नल टॉड के अनुसार अमरसर के अधिकार में उस समय 360 गांव थे । आईने अकबरी में लिखा है कि अमरसर के अधिकार में आठ लाख 49 हजार आठ सौ 9 बीघा जमीन 4 हजार घुड़सवार 2 हजार पैदल सेना थी। दिल्ली के सेनापति पठान ने अमरसर के राज पर हमला किया तब सहायता के लिए आया हुआ आमेर का राजकुमार कुम्भानी शहीद हो गया ।  अमरसर का राव रायमल राणा सांगा के साथ बाबर से हुए युद्ध में शामिल था।  एक लड़का लूणकरण हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ा था। अमरसर के शासक मनोहर के नाम पर बादशाह अकबर की इच्छा के अनुसार मनोहरपुर बसाया गया l

इतिहास के अनुसार अमरसर का राज्य महाराजा सवाई जयसिंह के समय तक स्वतंत्र रहा ,किंतु बाद में इसे जयपुर के अधीन कर लिया गया।  धुरंधर वीरों की जन्मस्थली  वाले भोमिया जी के मंदिर तक जात देने जाते है।जगदीश शर्मा 13 वर्षों तक सरपंच रहे। बातचीत में बताया कि वहां के हरिजनों को मकान बनाने के लिए बरसों पूर्व जमीनों के पट्टे दे दिए गए थे । खादी उत्पादन में सावल राम देशपांडे ,बाबू गौरी शंकर सिंह चंदेल का बहुत बड़ा योगदान रहा।

अमृतसर में पठानों का दबदबा इतना था कि यहां इन के डर से कभी डाका नहीं पड़ा। गुर्जरों का जगदीश जी का मंदिर, पुरानी शैली का कल्याण जी  का मंदिर, काली माता का मंदिर और लटकती गुफा है । इसमें कोलकाता, मुंबई के प्रवासी भी जात देने आते हैं।

माधव वेणी नदी क्षेत्र में पानी की रसधार बहाती है। यह नदी यहां से बहती हुई  बाणगंगा में मिलती है । मृत्यु भोज रोकने के लिए मुक्ति लाल मोदी भट्टी में कूद गए थे । ब्राह्मणों के साठ घरों में से काफी संख्या में नौकरियों में लगे हुए हैं। रेगरो के सौ घरों में चमड़ा रंगना एवं जूती बनाने का काम है। गलीचा बनाना भी शुरू हुआ है। नाईयों के 10 घर, महाजनों के 30 घर अग्रवालो के तीन घर व खंडेलवालों की हवेलियां  हैं ।खटीको में से कई लोग  इराक  कमाने गए हैं । जाटों के 50 घरों में से खेती की मुख्य धंधा है। बाजार लंबा और दुकानें हर तरफ की है । पंचायत समिति शाहपुरा है तथा अस्पताल यहीं पर है ।शांति और अमन चैन और धरती से प्यार के कारण वहां का सुख छोड़कर दूसरे स्थान पर कोई मजबूरी में जाता है। हवेलियों पर भी कलात्मक चित्रकारी हुई है तथा अधिकांश लोगों के पक्के मकान है

संकलनकर्ता : जितेंद्र सिंह शेखावत व पूजा सिंह (खाचरियावास)9829266088

सहयोग :- मनीष सोनी, ताल कटोरा, जयपुर

9829049399

Agriculture

Amarsar has farms ranging in size from small to large. Crops raised by small farms include mustard and gram in the rabi season (planted in winter and harvested in spring) and cotton in the kharif season (between April and October, during the rainy monsoon season). Crops raised by large farms include gram and wheat during the rabi season and guar and cotton during the kharif season.[1]

References

  1. Sustainability of Small Holder Agriculture in India. pp. 58–59. Retrieved 11 December 2014.

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